दुनिया के सबसे अजीबोगरीब स्कूल, कहीं दीवारें नहीं तो कोई है जंगल में

विद्यालय एक ऐसी जगह है जो आमतौर पर सभी जगह एक जैसे बने होते हैं. सभी स्कूलों में कक्षाएं, प्लेग्राउंड, स्विमिंग पूल और एक्टिविटी क्लासेस होती हैं. साधारण स्कूलों में नार्मल कक्षाएं तो होती ही हैं. लेकिन इस दुनिया में कुछ स्कूल ऐसी भी हैं जो बहुत अजीब है. एक स्कूल में विद्यार्थियों को रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर पढ़ाया जाता है तो दूसरे विद्यालय में जंगल में पढ़ाया जाता है. आप कितने भी अच्छे अच्छे स्कूलों में पढ़ चुके हो या पढ़ रहे हो लेकिन जब आप इन स्कूलों के बारे में जानेंगे तो आपको अपना स्कूल थोड़ा कम ही लगने लगेगा. तो आइए जानते हैं इन अजीबोगरीब स्कूल के बारे में.

अजीबोगरीब स्कूल

त्राबाजो या स्कूल

त्राबाजो या स्कूल पूरी दुनिया में लोकप्रिय है और यह विद्यालय स्पेन में है. यह विद्यालय सिर्फ एडल्ट एजुकेशन पर आधारित है. यहां लड़कियां अपनी मर्जी से एडमिशन लेती हैं और वह अपनी मर्जी से ही प्रॉस्टिट्यूशन का काम करना चाहती हैं. स्पेन के इस विद्यालय में इस काम से जुड़ी हुई सभी बारीकियां उन्हें सिखाई जाती हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें स्पेन में प्रॉस्टिट्यूशन बिल्कुल लीगल है इसलिए वहां की लड़कियां इस फील्ड में अपनी मर्जी से अपना करियर बनाती हैं. इस एजुकेशन का कोर्स एक महीने का होता है.

फॉरेस्ट किंडरगार्डन स्कूल

यह स्कूल यूनाइटेड किंगडम के शेफफील्ड में स्थापित है. इस स्कूल की खासियत यह है कि यह गांव और शहरों से हटकर एक जंगल में चलाया जाता है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को किताबी ज्ञान नहीं दिया जाता. इस स्कूल में उनकी क्रिएटिविटी पर पूरा ध्यान दिया जाता है. यहां पढ़ने वाले बच्चों की देखभाल करने के लिए एक विशेष टीम हमेशा रहती है. यहां पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद के लिए भी बच्चों को समय दिया जाता है इसलिए यहां पढ़ाई करने का तरीका बिल्कुल ही अलग है.

बोट स्कूल आफ बांग्लादेश

बांग्लादेश में ज्यादातर हर साल में बाढ़ आती है जिसकी वजह से वहां काफी तबाही होती है. इसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई भी काफी हद तक प्रभावित हो जाती है. इसलिए बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश में इस तरह के स्कूल की शुरुआत की गई है. इस स्कूल को बोट स्कूल कहा जाता है. इसमें बच्चों का स्कूल नाव में ही बना दिया गया है और वह बच्चे उसी पर अपनी पढ़ाई करते हैं. ये नाव बच्चों को पिक करती हैं और पढ़ाई होने के बाद उन्हें ड्रॉप भी करती हैं. वोट पर बच्चों के लिए हेल्थ सर्विस की भी पूरी व्यवस्था की जाती है.

ऑस्ट्रेड जिम्नेजियम हाई स्कूल

इस स्कूल को साल 2005 में जोनास लिंडेलॉफ डेनमार्क ने शुरू किया था. यह स्कूल डेनमार्क में है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अपनी कॉपी किताब लेकर नहीं आते हैं. एडमिशन होते ही यहां बच्चों को उनका पर्सनल लैपटॉप दिया जाता है और बच्चे उसी पर अपनी पढ़ाई करते हैं. ये स्कूल 12000 स्क्वायर फीट में बना हुआ है और इसके अंदर कोई भी चारदीवार नहीं है. ऑस्ट्रेड जिम्नेशियम हाई स्कूल को साल 2005 में दुनिया के बेस्ट स्कूलों में चुना गया था.

फिलाडेल्फिया स्कूल ऑफ द फ्यूचर

ये विद्यालय साल 2006 में शुरू हुआ था. यह विद्यालय भविष्य के विद्यालयों के लिए एक झलक है. यहाँ बच्चे कॉपी किताबों के साथ पढ़ाई नहीं करती है. इस स्कूल में गणित और विज्ञान जैसे विषयों की पढाई बच्चे माइक्रोसॉफ्ट एप्स पर करते हैं. अगर स्कूल के समय की बात करें तो इसका समय सुबह 9 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक होता है. इससे बच्चों को शुरू से ही ऑफिस टाइमिंग के लिए तैयार किया जाता है.

ट्रेन प्लेटफॉर्म स्कूल

भारतीय रेलवे स्टेशन पर बच्चे अक्सर भीख मांगते हुए नजर आते हैं. लेकिन ओडिशा के एक शिक्षक इंदरजीत खुराना ने एक एनजीओ की शुरुआत की है जिसका नाम रुचिका स्कूल सोशल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन है. इस एनजीओ के तहत रेलवे प्लेटफार्म पर मौजूद गरीब बच्चे गाने, ड्रामें, कविताएं और संगीत के जरिए पढाई करते हैं. बच्चों और उनके परिवार वालों के लिए ये लोग दवाइयां और खाना भी उपलब्ध कराते हैं.

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